Environmental Studies: करियर और सामाजिक दायित्व

 

यदि आप पर्यावरण से लगाव रखते हैं, और आप पर्यावरण को बचाकर दुनिया को बचाना चाहते हैं तो ये आर्टिकल आपके लिए हैं। यहाँ हम आपको ऐसे कुछ ऑर्गनाइजेशन्स के बारे में भी बताएंगे जो पर्यावरण को बचाने के लिए काम कर रहे हैं। यह बात हम सभी जानते हैं कि किसी भी देश में वहां रहने वाले लोगों का स्वस्थ होना उस देश की अर्थव्यवस्था को कितना प्रभावित करता है। देश के गरीब लोग पर्यावरण खराब होने की वजह से सबसे ज्यादा नुकसान झेलते हैं। क्योंकि  ना ही उनके पास वाटर प्यूरीफायर होते हैं और न ही स्वच्छ हवा और इसके साथ ही पर्यावरण अध्ययन की कमी की वजह से लोग पर्यावरण को बचाने एवं स्वच्छ रखने के बारे में जागरूक भी नहीं होते। इसके अलावा पर्यावरण खराब होने की वजह से तरह-तरह की बीमारियां फैलती हैं, और इसके कारण भी देश की अर्थव्यवस्था बहुत प्रभावित होती है। विकासशील देशों में पर्यावरण की समस्या रोगों की वजह बन रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन  World Health Organization का अनुमान है कि विकासशील देशों में लगभग 25 प्रतिशत बीमारियों का कारण खराब पर्यावरण है। वर्ष 2004 में साफ़ या पीने योग्य पानी की अपर्याप्त पहुंच के कारण 1.9 मिलियन लोग, मुख्य रूप से बच्चे, मारे गए थे। इसके अलावा लकड़ी, गोबर और कोयला जैसे ठोस ईंधन पर खाना पकाने से इनडोर वायु प्रदूषण (indoor air pollution)होता है, और इस वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से भी हर साल 2 मिलियन लोग, ज्यादातर महिलाएं और बच्चे मर जाते हैं। 

गैर-संचारी रोग (non-communicable diseases), जैसे हृदय रोग, स्ट्रोक, मधुमेह, कैंसर और सांस की समस्या, ये सभी प्रकार की स्वास्थ से संबंधित समस्याएं भी पर्यावरण की समस्या के कारण उत्पन्न होती हैं। पर्यावरणीय असंतुलन के कई खतरे हो सकते हैं, जैसे वायु प्रदूषण, जहरीले रसायन, प्रदूषित पर्यावरण air pollution, toxic chemicals, polluted environment आदि। एनसीडी से होने वाली कुल मौतों में से 80 प्रतिशत विकासशील देशों में होती हैं। विकासशील देशों के लोग विकसित देशों के लोगों की तुलना में कम उम्र में एनसीडी से मर जाते हैं। 

पर्यावरण में भौतिक, जैविक और सांस्कृतिक तत्वों की परस्पर क्रिया प्रणाली शामिल है, जो सामूहिक रूप से विभिन्न तरीकों से पर्यावरण से जुड़े हुए हैं। पर्यावरण के खराब होने के कई कारण है, जिसमे से एक है औद्योगीकरण (Industrialisation) यदि हम सतत या सस्टेनिबल डेवलपमेंट करेंगे तो ये समस्या कुछ हद तक कम हो सकती है। 

क्या है सतत विकास (Sustainable development)?

सतत विकास को अक्सर एक ऐसे विकास के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिसमें भविष्य की पीढ़ियों को अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए समझौता न करना पड़े और वर्तमान पीढ़ियों की जरूरतों भी पूरी होती रहें।  इसके अलावा व्यापक पर्यावरणीय क्षरण और वैश्विक जलवायु परिवर्तन से स्वास्थ्य और कल्याण को होने वाले नुकसान को देखते हुए, विभिन्न समुदाय और सरकारें यह सुनिश्चित करने पर अधिक जोर दे रही हैं कि आर्थिक विकास एक स्थायी तरीके से प्राप्त किया जाए जिससे पर्यावरण को कोई क्षति न पहुंचे।

सतत विकास, पर्यावरणीय स्वास्थ्य (Environmental health) से किस प्रकार संबंधित है?

स्वस्थ वातावरण की रक्षा और निर्माण सतत विकास का एक महत्वपूर्ण घटक है। बायोमास (Biomass) के इस्तेमाल से घरों और गांवों में वायु प्रदूषण के जोखिम को कम करके, और लोगों को स्वच्छ पानी और स्वच्छ वातावरण प्रदान करके, पर्यावरण की समस्या से होने वाली बीमारियों के सबसे बड़े बोझ से देश आबादी से मुक्त किया जा सकता है। 

पर्यावरणीय समस्याओं को दूर करने के प्रयासों के बारे में जागरूकता फैलाना जो स्वास्थ्य लाभ भी प्रदान कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, ऐसे वातावरण का निर्माण करना जिसमे बाइक चलाने और परिवहन से यात्रा करने के पैदल चलने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करता है, इससे ग्रीनहाउस गैस और वायु प्रदूषण उत्सर्जन कम करेगा और शारीरिक गतिविधि के जरिये स्वास्थ लाभ बढ़ाएगा।

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