नमक एक ऐसा उत्पाद है जो हर घर की ज़रूरत है। हर घर की इस आम ज़रूरत को पूरा करने के लिए बाज़ारों में अनेक नमक के ब्रांड उपलब्ध हैं। सभी ब्रांडों ने ग्राहकों के एक समूह को पकड़ कर रखा है लेकिन ऐसी सामान्य वस्तु को एक ब्रांड के नाम पर बेचने के लिए बहुत ही स्मार्ट रणनीति की आवश्यकता होती है। आज भारतीय बाज़ार में "टाटा नमक" को कौन नहीं जानता। यह शायद अधिकांश घरों में उपयोग किया जाने वाला सबसे लोकप्रिय नमक ब्रांड है। तो क्या आपने कभी सोचा कि नमक जैसी सामान्य वस्तु कैसे आज "देश का नमक" बन गई। यह तो स्वाभाविक है कि कंपनी की इस सफलता का राज़ कंपनी की उत्कृष्ट रणनीति है। तो आइए, हम आपको "टाटा साल्ट" Tata Salt कंपनी की सफल रणनीतियों के बारे में बताते हैं।
"टाटा साल्ट" का इतिहास
इसकी शुरुआत 1983 में हुई जब भारत में आयोडीन की कमी से होने वाली बीमारियों को देखते हुए टाटा केमिकल्स ने "टाटा साल्ट" ब्रांड को भारत में लांच किया, जो भारत का पहला आयोडीनयुक्त नमक ब्रांड है। 1983 में नमक उद्योग एक असंगठित क्षेत्र हुआ करता था। आमतौर पर इसे दुकानों में खुले तौर पर बेचा जाता था। उस समय नमक बेचने के लिए कोई ब्रांडेड कंपनी नहीं हुआ करती थी। यह वही समय था जब टाटा साल्ट ने बाज़ारों पर आधिपत्य करने का फैसला किया और नमक को एक ब्रांड के रूप में बेचने का निर्णय लिया। भारत की अधिकतम जनता हिंदी भाषी है। यही वजह है कि जब भी हिंदी भाषा का प्रयोग किया जाता है तो लोग उससे अपना जुड़ाव अधिक महसूस करते हैं। टाटा साल्ट की मार्केटिंग टीम ने इसी बात का फ़ायदा उठाया और अधिक से अधिक ग्राहकों से जुड़ने के लिए रणनीति तैयार की। उन्होंने "नमक हो टाटा का, टाटा नमक" जिंगल के साथ उत्पाद को बाज़ारों में उतारा। इस जिंगल ने आम आदमी को कंपनी के साथ अच्छे तरीके से जोड़ा। वैसे भी नमक शब्द से भारत के लोग एक खास जुड़ाव रखते हैं, इसके पीछे की वजह "मैंने आपका नमक खाया है" का नारा है। इस कंपनी ने भारत में अपनी विशेष पहचान बना ली जहां भारत का हर आम आदमी टाटा नमक के बारे में जानता है।
कंपनी की सफलता में टैगलाइन का हाथ
वास्तव में कंपनी की अपार सफलता के पीछे कंपनी द्वारा दिए गए अनेक टैगलाइनों taglines का बहुत बड़ा हाथ रहा है। बीतते वर्षों के साथ कंपनी ने "देश का नमक" टैगलाइन को भी संचालित किया। अनेक टीवी और अखबार विज्ञापनों ने कंपनी को उनके टैगलाइन के ज़रिए और विस्तारित किया। टीवी पर "देश का नमक" टैग लाइन से प्रसारित होने वाले एक विज्ञापन ने ईमानदारी पर दर्शकों का ध्यान केंद्रित किया जहां हर मां अपने बच्चों के चरित्र निर्माण करने की कोशिश करती है। विज्ञापन का अंत "अखिर हमने भी देश का नमक खाया है" से किया जाता था। यह टैगलाइन भी दर्शकों के बीच एक सुर्खियों और चर्चा का विषय बन गई।
ब्रांड जागरूकता के लिए स्मार्ट रणनीति
इसके बाद टाटा साल्ट कंपनी ने नए जमाने के उपभोक्ताओं तक पहुंचने के लिए डिजिटल अभियानों का भी इस्तेमाल किया। इसके लिए कंपनी ने विश्व आयोडीन कमी दिवस world iodine deficiency day के अवसर पर #MissingI अभियान का इस्तेमाल किया। #MissingI मल्टी मीडिया अभियान ने सभी माध्यमों जैसे समाचार पत्रों, टीवी चैनलों और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म social media platform के माध्यम से दर्शकों की ध्यान को अपनी ओर खींचा। इस अभियान में कंपनी ने सभी मीडिया ट्वीट्स में से "आई" (I) अक्षर को हटा दिया और इस मुद्दे को प्रिंट, टीवी, समाचारों की सुर्खियों में ले जाया गया। असल में, इस मल्टीमीडिया अभियान multimedia campaign के माध्यम से कंपनी का इरादा दर्शकों के बीच आयोडीन की कमी deficiency of Iodine को लेकर जागरूकता पैदा करना था। लोगों के आहार में आयोडीन के महत्व को स्थापित करने के लिए इस #MissingI अभियान को जारी किया गया था। यह अभियान उस समय काफी सुर्खियों में रहा जिसकी वजह से "टाटा साल्ट" दर्शकों के बीच और भी प्रसिद्ध हो गया।
निष्कर्ष
तो इस तरह टाटा साल्ट सही मायने में "देश का नमक" बन गया। वाकई में कंपनी की उत्कृष्ट रणनीति कंपनी को सफल बनाने में अपना विशेष योगदान देती है। ना सिर्फ भारत में बल्कि टाटा साल्ट आज विश्व भर में प्रसिद्ध नमक ब्रांड है।
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