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देश में शिक्षा प्रणाली को बेहतर बनाना और प्रत्येक राज्य व जिले में प्राइमरी से यूनिवर्सिटी स्तर तक की शिक्षा की सुचारु व्यवस्थाओं को सुनिश्चित करना शिक्षा मंत्री की जिम्मेदारी होती है। सही शिक्षा और ज्ञान प्राप्त करके आज के युवा आने वाले उज्ज्वल भविष्य का निर्माण करेंगे।
शिक्षा मंत्रालय Education Ministry बेहद खास और जिम्मेदारियों वाला मंत्रालय है। शिक्षा जैसी अहम् जिम्मेदारी को संभालना अपने आप में एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। शिक्षा मंत्रालय शिक्षा के स्तर को बनाये रखने के साथ-साथ देश को उन्नति के मार्ग पर आगे बढ़ाने का कार्य करता है। जिससे अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारतीय विद्यार्थी पीछे न रहें। यह मंत्रालय शिक्षा की सबसे बड़ी, उच्च शिक्षा प्रणाली की देखरेख करता है, और युवाओं के भविष्य को उज्ज्वल बनाने में एहम भूमिका निभाता है। भारत के शिक्षा मंत्री Education Minister पर इन सब की जिम्मेदारी है, उन्हें छात्रों से जुड़े मामलों में कई अहम फैसले लेने होते हैं। छात्रों को भी शिक्षा मंत्री से काफी उम्मीदे होती हैं। आइये जानते हैं कौन हैं भारत के शिक्षा मंत्री और इनका क्या कार्य होता है?
भारत का शिक्षा मंत्री कौन है?
वर्तमान में भारत के केंद्रीय शिक्षा मंत्री Central Education Minister धर्मेंद्र प्रधान Dharmendra Pradhan हैं। शिक्षा मंत्रालय (Education Ministry) के साथ-साथ उनके पास कौशल विकास एवं आंत्रप्रेन्योरशिप मंत्रालय (Skill Development and Entrepreneurship Ministry) भी है। डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक के इस्तीफे के बाद धर्मेंद्र प्रधान को शिक्षा मंत्री बनाया गया था। इन्होंने इस पद की शपथ 7 जुलाई 2021 को ग्रहण की थी। धर्मेंद्र प्रधान का जन्म 26 जून 1969 को ओडिशा तलचर (Talcher, Odisha) शहर में एक राजनीतिक परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम देवेंद्र प्रधान Devendra Pradhan है। वह अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में 1999 से 2004 तक केंद्रीय मंत्री थे। धर्मेंद्र प्रधान उड़ीसा के प्रतिष्ठित राजनेता eminent politician थे। कॉलेज के दिनों से ही उनमें लीडरशिप के गुण मौजूद थे। धर्मेंद्र प्रधान के पास इससे पहले पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस और स्टील मंत्रालय Ministry of Petroleum & Natural Gas & Steel था। इनकी माता का नाम श्रीमती बसंत मंजरी प्रधान और उनकी पत्नी का नाम श्रीमती मृदुला प्रधान है। धर्मेंद्र प्रधान जी को “उज्ज्वला मैन” Ujjwala man के रूप में भी जाना जाता है। अगर हम बात करें स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री की तो मौलाना अबुल कलाम आज़ाद Maulana Abdul Kalam Azad स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री थे। वह 15 अगस्त 1947 से 22 जनवरी 1958 तक इस पद पर कार्यरत रहे। उन्होंने ही भारत में शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए IIT जैसे बेहतरीन शिक्षण संस्थाओं की स्थापना करवाई थी।
धर्मेंद्र प्रधान जी का शैक्षिक और राजनीतिक करियर
धर्मेंद्र प्रधान ने ओडिशा के तालचर कॉलेज से हायर सेकंडरी की पढ़ाई की है। उड़ीसा के तालचेर कॉलेज में एक उच्चतर माध्यमिक छात्र के रूप में अध्ययन करते हुए ए.बी.वी.पी. (ABVP) कार्यकर्त्ता बने और इसके बाद वे तालचेर में छात्र संघ के अध्यक्ष बने। उन्होंने उत्कल यूनिवर्सिटी, भुवनेश्वर (Utkal University) Bhubaneswar से एंथ्रोपोलॉजी में एमए (MA Anthropology) की डिग्री भी ली है। सन 1998 में यह भारतीय जनता पार्टी Bharatiya Janata Party में शामिल हो गए और भारतीय जनता पार्टी का सदस्य रहते हुए ही इन्होंने उत्कलमणि गोपाबंधु प्रतिभा सम्मान Utkalmani Gopabandhu Pratibha Samman प्राप्त किया जो कि उड़ीसा विधानसभा का सर्वश्रेष्ठ विधानसभा सम्मान best assembly honor है। धर्मेंद्र प्रधान ने वर्ष 2000 में मुख्यधारा की राजनीति में कदम रखा। पल्ललहारा विधानसभा क्षेत्र से ओडिशा विधानसभा चुनाव लड़े और जीते। 2002 में वह भाजपा के राष्ट्रीय सचिव बने। 2004 में उन्होंने ओडिशा के देवगढ़ लोकसभा क्षेत्र से 14वीं लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीत गए। वह 2012 में बिहार और 2018 में मध्यप्रदेश से राज्यसभा (Rajya Sabha) के लिए भी चुने गये।
2014 में नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की सरकार में धर्मेंद्र प्रधान को पेट्रेलियम एंड नैचुरल गैस का केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया गया। 2019 में भी धर्मेंद्र प्रधान को पेट्रोलियम एवं नैचुरल गैस मंत्री नियुक्त किया गया। उन्होंने 25 से अधिक देशों का दौरा किया और साथ ही कई शिखर सम्मेलनों में भाग लिया। उन्होंने भारतीय प्रतिनिधि के रूप में कई अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रमों में भाग लिया। वह स्टील मंत्री भी रहे। स्वतंत्र भारत के इतिहास में वह सबसे लंबे समय तक पेट्रोलियम और नैचुरल गैस मंत्री रहे हैं। 2017 से 2019 के बीच वह स्किल डेवलवमेंट एंड एंटरप्रेन्योरशिप मिनिस्टर भी रहे। धर्मेंद्र प्रधान युवाओं के मुद्दों को लेकर भी काफी सक्रिय रहे हैं। उन्होंने बेरोजगारी दूर करने जैसे कई मुद्दों का समर्थन किया और इसके लिए समय समय पर आवाज भी उठाई है। उन्होंने स्किल डेवलपमेंट एंड एंटरप्रेन्योरशिप मिनिस्टर रहते हुए कौशल विकास पर भी कई कदम उठाये हैं। इसके अलावा उन्होंने दुनिया का सबसे बड़ा काउंसलिंग प्रोग्राम 'स्किल साथी' (Skill Saathi) भी लॉन्च किया।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय (MHRD) बदला शिक्षा मंत्रालय में
मिनिस्ट्री ऑफ़ ह्यूमन रिसोर्स डेवलपमेंट का नाम अब शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है, प्राइमरी से यूनिवर्सिटी स्तर तक की शिक्षा (Higher Education) पर फोकस रखने वाले इस मंत्रालय के सफर की कहानी भी काफी अलग है। यह नाम परिवर्तन राष्ट्रीय शिक्षा नीति NationalEeducation Policy (एनईपी) के मसौदे की प्रमुख सिफारिशों में से एक था। शिक्षा मंत्रालय पहले मानव संसाधन विकास मंत्रालय (Ministry of Human Resource and Development-MHRD) के नाम से जाना जाता था। मानव संसाधन और विकास मंत्रालय ने कैबिनेट के समक्ष सिफारिश की थी कि उसका नाम बदल कर शिक्षा मंत्रालय (Ministry Of Education) कर दिया जाए इसलिए मंत्रालय की सिफारिश को कैबिनेट ने अपनी मंजूरी दे दी थी। यह बदलाव इसलिए किया गया जिससे मंत्रालय ज़्यादा स्पष्टता और फोकस के साथ अपने काम को सही तरीके से कर सके। वैसे आज़ादी (Independence Day) के बाद से इस मंत्रालय को शिक्षा मंत्रालय ही कहा जाता था, लेकिन राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) की सरकार के समय इसका नाम बदलकर HRD हो गया था। दरअसल, 26 सितंबर 1985 को शिक्षा मंत्रालय का बदलकर मानव संसाधन विकास मंत्रालय कर दिया गया था। तब इसके अंतर्गत संस्कृति, युवा कल्याण, खेल और महिला व बाल विकास जैसे कई और विभाग भी बना दिए गए। धीरे-धीरे HRD मंत्रालय में जो विभाग जोड़े गए थे, वो अलग हो गए और इसके अलावा अन्य कई कारणों की वजह से इस मंत्रालय का नाम बदलकर फिर शिक्षा मंत्रालय किया गया।
शिक्षा मंत्री के महत्वपूर्ण कार्य और जिम्मेदारियां
शिक्षा मंत्रालय एक बहुत ही अहम् और खास जिम्मेदारियों वाला मंत्रालय है। जैसे कि कोरोना महामारी के कारण स्कूल बंद रहे हैं, बहुत सारी परेशानियाँ छात्रों को झेलनी पड़ी हैं। इन सबकी जिम्मेदारी धर्मेंद्र प्रधान पर ही थी। शिक्षा मंत्री का सबसे पहला कार्य यह सुनिश्चित करना होता है कि शिक्षा के क्षेत्र में सभी बच्चों की भागीदारी हो। साथ ही सभी बच्चों को निःशुल्क शिक्षा free education मिल सके इस पर कार्य करना है। स्कूलों पर सर्वे करना, मिड डे मील mid day meal की व्यवस्था देखना और बच्चों को अच्छी से अच्छी शिक्षा देना जिससे उनका भविष्य सुरक्षित रहे। भारतीय शिक्षा मंत्रालय Indian Ministry of Education का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति तैयार करना है और यह भी सुनिश्चित करना है कि यह नीतियां पूरे भारत में सभी शिक्षण संस्थानों पर लागू हो तथा उन्हें योजनाबद्ध और सही तरीके से उपयोग में लाया जाए।
जो लोग शिक्षा लेने में असमर्थ हैं जैसे गरीब बच्चे, महिलाओं और अल्पसंख्यक जैसे वंचित समूहों की ओर विशेष रूप से ध्यान देना और उन्हें विशेष तौर पर छात्रवृत्ति प्रदान करना, शिक्षा के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना साथ ही सब्सिडी भी प्रदान करना शामिल है। यानि शिक्षा मंत्रालय का एक कार्य समाज में वंचित वर्गो के छात्रों को योग्य बनाना भी है। भारतीय शिक्षा मंत्री द्वारा ये भी सुनिश्चित किया जाता है कि सभी सरकारी शिक्षण संस्थानों में योग्य शिक्षकों की भर्ती की जाए। क्योंकि शिक्षक ही बच्चों को शिक्षित करने के महत्वपूर्ण संसाधन के रूप में कार्य करते हैं। इस मंत्रालय को दो महत्वपूर्ण विभागों में बांट दिया गया है। पहला स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग Department of School Education and Literacy जो प्राथमिक शिक्षा और साक्षरता के अलग अलग पहलुओं के आयोजन के लिए जिम्मेदार है। दूसरा है उच्च शिक्षा विभाग Higher Education Department, यह माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक के लिए शिक्षा से जुड़े काम करता है। इसके अलावा शिक्षा मंत्रालय के कार्यों में शिक्षा के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को प्रोत्साहित करना भी है। इसमें यूनेस्को, विदेशी सरकारों UNESCO, foreign governments और विश्वविद्यालयों Universities के साथ मिलकर काम किया जाता है।
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