क्या होता है Pink Tax?

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2015 में न्यूयॉर्क के कंज़्यूमर डिपार्टमेंट ने एक रिपोर्ट में बताया कि देश के 91 ब्रांड में समान प्रोडक्ट्स होने के बावजूद भी उनकी कीमत अलग है और जेंडर के आधार पर क़ीमत में अंतर मौजूद है। पुरुषों के सेल्फ केयर प्रोडक्ट्स जैसे शैंपू, कंडीशनर, सोप, बॉडीवाश, फेशवॉश, क्रीम और परफ्यूम महिलाओं की तुलना में सस्ते मिलते हैं। इन प्रोडक्ट्स में रंग को  छोड़कर बाकी सब कुछ लगभग समान ही था लेकिन कीमत अलग-अलग थी। पर ऐसा होता क्यों है?

हर व्यक्ति को सरकार को कई तरह के टैक्स tax चुकाने पड़ते हैं। इनमें से कुछ डायरेक्ट टैक्स Direct tax होते हैं और कुछ इनडायरेक्ट टैक्स Indirect tax होते हैं, पर अगर कोई आपसे कहे की आपको एक महिला होने की वजह से उन प्रोडक्ट्स के लिए  टैक्स देना होगा जो आपके लिए डिजाइन किए गए हैं, तो क्या आप ऐसा किसी तरह का टैक्स देंगी? जाहिर सी बात है कि कोई भी इस तरह का कोई टैक्स नहीं देना चाहेगा लेकिन फिर भी सालों से हम ये अदृश्य टैक्स चुकाते आए हैं और कई महिलाओं को तो इसकी जानकारी भी नहीं है। आइए इस विशेष तरह के टैक्स के बारे में जानते हैं-

क्या आपने कभी ध्यान दिया है कि एक ही प्रोडक्ट के लिए कभी-कभी हमें अलग-अलग कीमत चुकानी पड़ती है और दोनों प्रोडक्ट एक ही तरह के होते हैं लेकिन कभी-कभी दोनों के रंग एक नहीं होते तो एक का दाम दूसरे प्रोडक्ट की तुलना में ज्यादा होता है। हो सकता है कि आपने पहले ये नोटिस ना किया हो। ये देखने के लिए आप एक मॉल में जाइए और किसी एक ही ब्रांड के दो प्रोडक्ट को देखिए, जिसमें से एक महिलाओं के लिए बना है और दूसरा पुरुषों के लिए, आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि जो प्रोडक्ट महिलाओं के लिए बनाया गया है उसकी कीमत पुरुषों के लिए बनाए गए प्रोडक्ट से अधिक होगी, पर ऐसा होता क्यों है?

भारत में Pink Tax क्या है?

यह अंतर सबसे ज्यादा पर्सनल केयर प्रोडक्ट्स personal care products और यहां तक की बच्चों के कपड़ो और खिलौनों में भी देखा जाता है। बेहद आश्चर्यजनक है कि एक ही सामान की कीमत बस इसीलिए बढ़ जाती है क्योंकि उस प्रोडक्ट को दूसरे जेंडर के लिए बनाया गया है और इस टैक्स को पिंक टैक्स Pink tax कहा जाता है। यह पिंक टैक्स सिर्फ महिलाओं के लिए बनाए गए प्रोडक्ट पर लगता है लेकिन पुरुषों के लिए बनाए गए प्रोडक्ट के लिए कोई ब्लू टैक्स Blue tax नहीं लगता है।

यह सिर्फ प्रोडक्ट्स तक ही नहीं सीमित है। अगर आप किसी सैलून में हेयर कट या हेयर स्पा के लिए जा रही हैं तो भी आपको पुरुषों की तुलना में ज्यादा पैसे देने पड़ेंगे। इसके अलावा अगर कपड़ो में देखा जाए तो जॉकी का जो ट्राउजर पुरुषों के लिए 900 रुपए है वही ट्राउजर महिलाओं के लिए 1300 का है। परफ्यूम, डियोर्डेंट्स, शैंपू, बॉडीवाश और रेजर जैसे सेल्फ केयर प्रोडक्ट्स self care products में ये अंतर साफ देखने को मिलता है।

 

इसके अलावा कई ऐसे प्रॉडक्ट्स होते हैं, जो खासतौर पर महिलाओं के लिए बनाए जाते हैं, जैसे- ज्वैलरी, लिपस्टिक, नेल पॉलिश और मेकअप आदि जिनकी कीमतें बेहद ज्यादा होती हैं क्योंकि प्रोडक्शन कॉस्ट production cost और मार्केटिंग कॉस्ट marketing cost को मिलाने के बाद इन प्रोडक्ट्स की कीमत तीन गुना बढ़ जाती है।

पिंक टैक्स का इतिहास History of pink tax

2010 में राष्ट्रीय स्तर पर एक शोध हुआ और उस कंज्यूमर रिपोर्ट consumer report से यह पता चला कि एक ही तरह के उत्पाद के लिए महिलाएं तक़रीबन 50 प्रतिशत अधिक का भुगतान करती हैं। इसके बाद 2015 में न्यूयॉर्क के कंज़्यूमर डिपार्टमेंट ने एक रिपोर्ट में बताया कि देश के 91 ब्रांड में समान प्रोडक्ट्स होने के बावजूद भी उनकी कीमत अलग है और जेंडर के आधार पर क़ीमत में अंतर मौजूद है। पुरुषों के सेल्फ केयर प्रोडक्ट्स जैसे शैंपू, कंडीशनर, सोप, बॉडीवाश, फेशवॉश, क्रीम और परफ्यूम महिलाओं की तुलना में सस्ते मिलते हैं। इन प्रोडक्ट्स में रंग जो छोड़कर बाकी सब कुछ लगभग समान ही था लेकिन कीमत अलग-अलग थी। 

यह टैक्स क्यों मौजूद है?

इस टैक्स के मौजूद होने के कई कारण दिए जाते हैं, जैसे महिलाएं पुरुषों की तुलना में अधिक पैसा चुकाने में ज्यादा संकोच नहीं करती हैं, फैशन fashion के प्रति ज्यादा सजग रहती हैं और उन्हें अच्छी पैकेजिंग good packaging पसंद आती है। 

एक और सबसे बड़ा कारण है कि महिलाएं उत्पाद की कीमत में बदलाव होने पर तुरंत दूसरे ब्रांड से खरीदना नहीं शुरू कर देती हैं। आप कह सकते हैं कि महिलाएं अपने पसंदीदा प्रोडक्ट और ब्रांड brands की तरफ पुरुषों की तुलना में ज्यादा वफादार होती हैं। यही कारण है कि ज्यादातर कंपनियां इस बात का फायदा उठाती हैं और समान प्रोडक्ट को अलग-अलग दाम पर बेचती हैं। 

पिंक ही क्यों?

  • पिंक को एक डेलिकेट कलर delicate colour माना जाता है और इस रंग के इसी गुण की वजह से ज्यादातर लोग इस रंग के प्रोडक्ट की तरफ आकर्षित होते हैं और उसे खरीदते हैं। 

  • ऐसा पाया गया है कि महिलाओं के लिए बनाए गए प्रॉडक्ट्स जिनकी कीमत पुरुषों के लिए बनाए गए प्रॉडक्ट्स से ज्यादा हैं, उन प्रोडक्ट्स में से ज्यादातर प्रॉडक्ट्स का रंग पिंक है। 

पिंक टैक्स देने से कैसे बचें?

पिंक टैक्स Pink tax को देने से आप पूरी तरह से नहीं बच सकती हैं क्योंकि कई ऐसे प्रोडक्ट हैं जिनकी आपको आवश्यकता है और वे आपको लेने ही पड़ेंगे लेकिन थोड़ी सोच बूझ से आप इसे कम कर सकती हैं। 

  • जब आप अपने लिए कोई भी प्रोडक्ट खरीदने जाएं तो कुछ ऐसे प्रोडक्ट भी देखें जिन्हें पुरुषों के लिए बनाया गया है और अगर दोनो प्रोडक्ट की उपयोगिता में कोई फर्क ना हो तो आप वह प्रोडक्ट चुनें, जिसे पुरुषों के लिए बनाया गया है, जैसे- परफ्यूम, कंडीशनर, शैंपू, बॉडीवॉश आदि।  

  • अगर आपको किसी प्रोडक्ट की कीमत बहुत ज्यादा लग रही है तो आप दूसरे ब्रांड्स के प्रोडक्ट भी चेक कर लें क्योंकि ऐसा हो सकता है कि दूसरे ब्रांड का प्रोडक्ट आपको कम दाम में मिल जाए। 

  • ज्यादा से ज्यादा लोगों को पिंक टैक्स के बारे में बताएं। 

निष्कर्ष

भारत में आज हर महिला को पिंक टैक्स के रूप में मल्टीनेशनल कंपनियों multinational companies को हर साल करीब एक लाख रुपए चुकाने पड़ते हैं और आज के दौर में इस टैक्स को देने से बच पाना मुमकिन नहीं है। सच कहें तो यह अनावश्यक, अनुचित और अनैतिक है क्योंकि महिलाएं हमेशा से ही वेतन में अंतर और समान अवसर ना मिलने के मतभेद से पहले से ही पीड़ित हैं और अब उस पर यह पिंक टैक्स का भुगतान करना बेहद अनावश्यक है। 

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